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दैनिक लेखनी कहानी -23-Apr-2022 कलयुग का प्रभाव

इस कलयुग मे   सारी सीमा लांघ गये है हम।

जो नही करना वह   भी करके भाग गये हम।।
मा बाप   को  भी   बृद्धाश्रम  मे छोड़ दिया है।
हमने उनसे कितने बर्षौ का नाता तोड़ दिया है।।
ना सोचा ना समझा धर्म से भी नाता तोड़ दिया।
बिके हैं चन्द सिक्कौ मे गैरौ से नाता जोड़ लिया।।
जिस धरती पर जन्म लिया उसको भी नही छोडा़है।
ईश्वर को झूंठा बतलाते है राम से भी नाता तोडा़ है।।
धन दौलत के कारण भाई बहिनौ से नाता तोडा़ है।
मदिरा  की खातिर पत्नी के गहनौ को नहीं छोडा़ है।।
यह सब इतना इस कलयुग ने ही कर  डाला है।
अबतो इस युग मे  ऊपरवाला ही रखवाला। है।।




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15 Comments

Zainab Irfan

25-Apr-2022 03:19 PM

बहुत ही सुन्दर

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Dr. Arpita Agrawal

24-Apr-2022 12:13 AM

बहुत अच्छी रचना 👌👌

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Sobhna tiwari

23-Apr-2022 09:43 PM

Good👍🏻

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